आहार- गहरी नींद, बेहतर पाचन और लंबी उम्र का रहस्य , क्या कहता है आयुर्वेद

 “जैसा खाओगे, वैसा मन बनेगा।”

आयुर्वेद में यह कहावत न केवल दिन के भोजन पर, बल्कि रात के भोजन पर भी लागू होती है। रात का भोजन हल्का, सुपाच्य और सुखदायक होना चाहिए, क्योंकि यह शरीर की मरम्मत, नींद की गुणवत्ता और अगले दिन के लिए ऊर्जा को प्रभावित करता है।

आयुर्वेद कहता है – “रात्रौ भोजनं लघु भूयात्” अर्थात रात का भोजन हमेशा हल्का होना चाहिए।

रात के लिए शीर्ष 10 आयुर्वेदिक भोजन:

1. मूंग दाल – सुपाच्य और सुखदायक

, मूंग दाल को आयुर्वेद में त्रिदोष नाशक माना जाता है। यह हल्का, सुपाच्य और शाम के भोजन के लिए आदर्श है।

गुण: वात-पित्त-कफ को संतुलित करता है, नींद को बढ़ावा देता है, पेट को साफ रखता है।

पतली मूंग खिचड़ी में देसी घी डालकर सेंधा नमक के साथ सेवन करें।

2. सादी खिचड़ी

सर्वोत्तम भोजन की थाली आयुर्वेद में मूंग दाल और चावल की सादी खिचड़ी को सर्वोत्तम आहार माना गया है। यह पचने में आसान है और अग्नि को शांत करती है।

गुण: बुखार, अपच, तनाव ,कब्ज और अनिद्रा में लाभकारी।

 

3. गुनगुना दूध – नींद और शक्ति का सूत्र  

आयुर्वेदिक ग्रंथों में, गुनगुने दूध में हल्दी , केसर या जायफल मिलाकर सेवन करने की सलाह दी गई है।

गुण: वात और पित्त को शांत करता है, गहरी नींद देता है, मांसपेशियों की मरम्मत में मदद करता है।

सावधानी: जो लोग लैक्टोज़ असहिष्णु हैं, वे गाय का दूध या बकरी का दूध ले सकते हैं।

4. पके केले की सब्जी या उबला हुआ केला

कच्चा केला भारी होता है, लेकिन पका केला आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से वात-नाशक और आसानी से पचने वाला होता है।

गुण: पाचन में सुधार करता है, ऊर्जा देता है, नींद बढ़ाता है।

5. नारियल पानी या नारियल की गिरी

रात के खाने के बाद, थोड़ा सा कच्चा नारियल या उसका पानी शरीर को ठंडक और नमी प्रदान करता है।

गुण: पित्त को शांत करता है, त्वचा को साफ़ रखता है, अनिद्रा में लाभकारी।

6. उबला हुआ शकरकंद

यह एक ऊर्जा देने वाला भोजन है, जिससे गैस और अपच नहीं होती। यह फाइबर से भरपूर होता है।

गुण: वात दोष को शांत करता है, नींद में सहायक होता है, पेट साफ़ करता है।

7. लौकी की सब्जी आयुर्वेद में लौकी को “चित्तल प्रकृति” का माना जाता है, जो पेट को ठंडक पहुँचाता है।

गुण: नींद और पाचन में सुधार करता है, पेट के रोगों में लाभकारी।

8. रागी/नचनी दलिया

रात्रि में रागी दलिया खाने से वात और पित्त दोष शांत होते हैं। यह शरीर को ठंडक पहुँचाता है और कब्ज से राहत देता है।

गुण: हड्डियों को मज़बूत बनाता है, अनिद्रा में लाभकारी।

9. लहसुन तड़का मूंग दाल/सब्ज़ी

रात में लहसुन का सेवन सीमित मात्रा में करें। यह अग्नि को बढ़ाता है और वात दोष को शांत करता है।

गुण: गैस, अपच और अनिद्रा में लाभकारी।

10. त्रिफला का सेवन (सोने से पहले)

भोजन के बाद गर्म पानी के साथ त्रिफला चूर्ण या गोली लेना आयुर्वेद में रात्रिकालीन औषधीय आहार माना जाता है।

गुण: पेट साफ़ करता है और लीवर को डिटॉक्स करता है, नींद में सुधार करता है और आँखों के लिए लाभकारी है।

• विशेष आयुर्वेदिक सुझाव:

• सूर्यास्त के 2 घंटे के भीतर रात का भोजन कर लेना चाहिए।

• रात में बहुत अधिक तैलीय, भारी और मसालेदार भोजन वर्जित है। रात में ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक या दही का सेवन वर्जित है।

• भोजन के बाद कम से कम 30 मिनट टहलें।

निष्कर्ष:

रात के खाने का आयुर्वेदिक संतुलन न केवल शरीर को पोषण देता है, बल्कि अगले दिन के लिए आपके मन, नींद और ऊर्जा को भी आकार देता है। तो अगली बार जब आप रात के खाने के बारे में सोचें, तो सिर्फ़ स्वाद के हिसाब से नहीं, बल्कि शरीर की प्रकृति (वात, पित्त, कफ) और उसकी ज़रूरतों को समझते हुए चुनाव करें।

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